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करोड़पति सुशील कुमार ने सदर हॉस्पिटल मोतिहारी में लगाया चंपा का पौधा...

   नकुल कुमार/मोतिहारी                                      10.05.2018               "चंपा से चंपारण" कार्यक्रम की अगुवाई कर रहे करोड़पति सुशील कुमार ने सदर हॉस्पिटल मोतिहारी के प्रांगण में चंपा की पौधे को लगाया एवं "चंपा से चंपारण" विषय पर उपस्थित चिकित्सक पदाधिकारियों से गुफ्तगू करके जनजागृति फैलाई ।              मालूम हो कि "चंपा से चंपारण" कार्यक्रम के तहत करोड़पति सुशील कुमार मोतिहारी में प्रतिदन डोर टू डोर जाकर चंपा का पौधा लगाते हैं एवं इसे चंपारण के इतिहास से जोड़कर भावनात्मक मोड़ देते हैं ताकि जिस चंपा के आरण्य अर्थात जंगल के कारण इसका नाम चंपारण पड़ा इससे नई पीढ़ी को जागरुक कर सकें ।               ज्यों ही करोड़पति सुशील कुमार सदर हॉस्पिटल मोतिहारी पहुंचे, उपस्थित डॉक्टर एवं चिकित्सा पदाधिकारियों ने पूरी गरमजोशी के स...

राजेश कुमार सुमन BSS CLUB रोसड़ा समस्तीपुर में "सेल्फी विद ट्री" अभियान के जनक

बिहार में युवाओं की एक टीम "सेल्फी विद् ट्री" अभियान के माध्यम से कर रहे हैं पौधारोपण और पर्यावरण संरक्षण आजकल बिहार में शादी,मुंडन,जनेऊ सहित अन्य प्रमुख मांगलिक उत्सवों क...

करोड़पति सुशील कुमार ने की लोगों से अपील...

मोतिहारी में चंपा वृक्षारोपण का अभियान युद्धस्तर पर चला रहे करोड़पति सुशील कुमार लगातार प्रसिद्धि पाते जा रहे हैं किंतु इन सबके बीच उन्होंने इस कार्यक्रम की समीक्षा की...

दादी ने अपने पौत्रवधू को मुँह दिखाई में दी आम का पौधा,बना रहा चर्चा का विषय।

""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""" बिहार के समस्तीपुर जिलान्तर्गत खानपुर प्रखंड की बछौली की 90 वर्ष की बुजुर्ग महिला रेखा देवी ने अपने नव पौत्रवधू को मुँह दिखाई में पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन के ल...

Motihari me CPIM Rally

रात की गहराई में...... भाग-3

बड़ी दूर दूर से रहते हो, मुझसे कुछ नहीं कहते हो। छोटे से शब्द से, मुझे उत्तेजित कर जाते हो, कहो ना अरे ओ प्रीतम, तुम कैसे रह पाते हो ।। रात रात भर जगकर, मैसेंजर निहारा करता हूं , तुम्हें ऑफलाइन देखकर, बस तुम्हें पुकारा करता हूं।। एक आस कभी दे जाते हो, निराश भी कर जाते हो। कभी बातें करते हो, कभी बातें बनाते हो। और फिर निशब्द से हो जाते हो, अरे ओ प्रीतम बता दो ना, तन्हा कैसे रह पाते हो।। 💐तुम्हारा💐 नकुल कुमार NTC CLUB MEDIA "क्योंकि सच एक मुद्दा है"

सुनील कविराज की कलम से .....

सोने का जूगनू  (दास्ताॅ -ए-दिसंबर) कविता उस दिसम्बर को कैसे भूल जाऊँ जिसने मुझे सोने का जूगनू बनाया था । धीरे धीरे बढ़ी दिल लगी जो एक एहसास अनमोल दे दिया था । मुरझाई सी कली को पानी कि बुंद खिला कर सुन्दर फुल बना दिया था । उस सुनहरे पलो को कैसे भूल जाऊँ जिस पल ने मुझे जिंदा किया था । देखा न जिसको कभी मैंने विश्वास बहुत ही करने लगा था । मेरे काम को सफल करने के लिए मंदिर मे पूजा करना रोजाना था । खुली छूल्फो को दिखना और आँखों मे काजल लगाना था । उस आवाज को कैसे भूल जाऊँ जिसने जिने कि हिम्मत दिया था । उस चेहरे को कैसे भूल जाऊँ जिसे अपना आईना बनाना था । लफ्जो को चुरा कर हमेशा गुलाबों सी होठों पर सजाना था । सात जन्म साथ रहने का वादा उसे एक पल में भूल जाना था । शायद यही रब की मर्जी है प्यार करके प्यार को याद करना था ।