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Showing posts from March, 2017

Anti Romiyo

तुम्हारे तड़प में, मैं जीने लगा हूं।। तुम्हारा जहर, मैं पीने लगा हूं। और खुशनसीबी रही होगी, उस रोमियो की, जिससे तुमने बेवफाई की होगी । मैं तो, बस यूं ही फंस गया, जान बूझकर, तुम्हारी, कसौटी पूरण को नहीं, अपितु, उन सबको बचाने के लिए, जो तुममें वासना, और जिनमें तुम अवसर तलाशती थी । तुम्हारी बेवफाई ने ही, उन्हें रास्ता दिखाया, आगे का।। जीवन जीने की कला, प्रस्फुटित हुई, उनमें वास्तव में, तुम्हारी बेवफाई पूजनीय है।। शुभ रात्रि नकुल कुमार आलोचक मोतिहारी पूर्वी चम्पारण बिहार +91 8789826276 +91 8083686563

BPA1 बचपन पढ़ाओं आन्दोलन -1

Bachpan Padhao Aandolan.                          बचपन पढ़ाओं आंदोलन अपने नए प्रांगण में.............. दिनांक 28.03.2017 से पुनः प्रारंभ हुआ।( सुबह 8 बजे से 9 बजे तक) आज कुल दस बच्चों की उपस्थिति रही। प्रचार-प्रसार जारी है। धन्यवाद नकुल कुमार सिंघिया सागर बंजरिया​ मोतिहारी पूर्वी चम्पारण बिहार,845401 08789826276 08083686563

Private sector script by Nakul Kumar

नकुल की कलम से.....…...............✍            *प्राईवेट सेक्टर में सैलरी कम व शोषण ज्यादा है । समय की पाबंदी में खुद को मशीन बना देने पर भी, आपका मनोबल तब धराशाई हो जाता है जब आप में हजारों खामियां निकाली जाती है* । इस मशीनरी लाइफ में आप घर-परिवार,समाज सब से कट जाते हो और बदले में एक छोटी सी सैलरी....…....?  ये छोटी सैलरी भी महीने भर के संघर्ष के बाद अमृत से कम नहीं लगती है, पर पूर्णिमा के चांद से चांदनी ही कितनी...…....? *मैं भी इसी मशीनरी जीवन के बीच अचानक से बदलते मौसम का शिकार हो गया हूं* .................  *बदलाव को समझना और बदलना आवश्यक है* जीवन में बहुत से ऐसे क्षण आते हैं,जो बहुत कुछ सीखा जातें हैं । बदलते परिवेश में, स्वयं को निश्चित रूप से बदलना चाहिए। एक ही   विकल्प को अंतिम समझ लेना उचित नहीं है । इस पूंजीवादी व्यवस्था में मध्यम वर्ग के लिए कुछ नया सोचना व करना बड़ा मुश्किल है । किंतु हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि *धीरू भाई अंबानी का सफर सौ रूपये के नोट से शुरू हुआ था*  कौन जानता था कि  पटना जंक्शन पर रोड किनारे दवा बेचने वाला, पटना यूनिवर्सिटी का बी. ए. पास छात्र *मनीष* आ

Shabd poem by Nakul Kumar

शब्दों संग, शब्दों में खोने लगा हूं। आखिर मैं तेरा, होने लगा हूं। मेरी कविता में, शब्दों की मोती है तू। मेरे ख्वाबों की बाहों में, सोती है तू। कई शब्द, बेशब्द हुए, अनाथ पड़े हैं। कुछ गर्व से, कुछ निर्लज्ज खड़े हैं । किसकी लज्जा मैं, किससे छुपाऊं। क्यों न नया, कोई शब्द बनाऊं । *नकुल_कुमार "आलोचक"* *मोतिहारी, पूर्वी चंपारण बिहार 845401* *मोबाइल 8083686563* Founder:- *बचपन पढ़ाओं आन्दोलन* *Cashless Education*

Holi poem By Nakul Kumar

*होली है...........* आनंद मंगल गाओ, भईया होली खूब मनाओ।। नए नए पकवान, भईया मिल बांटकर खाओ।। इस होली में सारे, भईया भेदभाव भूल जाओ।। झूम झूम के गाओ भईया, झूम झूम के गाओ ।। रंगों की रंगोली में, भईया कुछ ऐसे खो जाओ । होली खूब मनाओ, भईया होली खूब मनाओ ।। आप सभी को होली की खूब खूब बधाई।। *नकुल कुमार "आलोचक"* *मोतिहारी, पूर्वी चंपारण बिहार* *8083686563* *बुरा न मानो होली है* *बचपन पढ़ाओ आन्दोलन* *Cashless education* *बचपन बचाओ आंदोलन* *Nakul Tuition Centre*

Love Poem by Nakul Kumar

मेरे , दिवा स्वप्न की संगीनी, मोहे अंग से अंग लगाने दे । हर बार विमुख मै जीता रहा , इस बार संग मर जाने दे । सांसो का ऐसा संगम हो, प्रर्णयातुर दृश्य विहंगम हो । शब्द भी झंकृत करते हो, दो प्राण एक राग करतें  हो । मुझे प्रेम रस के झरने से , इक बार अमृत पिलाओ ना । मै तन्हा तन्हा जीता हूँ, इक बार करीब आ जाओ ना।। ..... .....मै नकुल, नागीन तेरी खोज में, बिल बिल घूमता रहता हूँ । तुम एहसास में बस्ती हो , यह सबसे कहता रहता हूँ । .... *नकुल कुमार "आलोचक"* *मोतिहारी पूर्वी चंपारण बिहार* *8083686563*

Champaran Youth conference 1 April 2017

Selected Speaker#6#Nakul kumar from East Champaran,Bihar,India. ================================================= मैं नकुल कुमार, मोतिहारी पूर्वी चंपारण बिहार का रहने वाला हूं। मेरा जन्म एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ। अपने माता-पिता के नौ संतानों में मैं चौथे स्थान पर हूं। आलोचना मेरी प्रकृति है और कलम ही मेरा हथियार। कविता लिखना शौक है और पढ़ाना ही सामाजिक सरोकार। 2008 में मैट्रिक एवं 2010 में ISc. जिला स्कूल मोतिहारी से प्रथम श्रेणी में पास की। फिर 2010 में हीं नवीन राजकीय पालिटेक्निक, पटना में दाखिला लिया। सपने आसमान नापने के थे लेकिन लचर शैक्षणिक व्यवस्था ने जमीन पर ऐसे पटका की उठने में वर्षों लग गए। पालिटेक्निक में मेरा दाखिला " Mechanical Automobile Engineering" में हुआ। मैं सपने देखने लगा कि मैं पानी से चलने वाला इंजन डेवलप करूंगा। लेकिन पहले ही दिन वर्कशॉप के शिक्षक ने समझा दिया कि यहां पानी से चलने वाला इंजन तो नही बना पाओगे हां पानी पी पी-कर semester पास करने वाले इंजन अवश्य ही बन जाओगे। मैं कहां सपने लिए आसमान में उड़ रहा था और कहां उन्होंने मुझे जमीन पर पटक दिया।

Critic Poem By Nakul Kumar

मेरे पागलपन की चर्चा, सारे शहर में फैली है। पर इस पागलपन में भी, तुम्हें पहचानता हूं, यह ख़बर भी, सरेआम कर दो।। कुछ अफवाहें,जो तुमने फैलाई है, कुछ अपनी मिलाकर।चलो, अब उनका काम , तमाम कर दो।। मुझे मालूम न था, कोई मेरे पागलपन का, इतना मुरीद होगा। पहले अफवाहें फैलाएगा, और माफ़ी के बहाने, इतना करीब आएगा।। #नकुल_कुमार "आलोचक" मोतिहारी, पूर्वी चम्पारण बिहार #मो_08083686563 #मो_08789826276 #Nakul_Tuition_Center #Cashless_Education #बचपन_पढ़ाओ_आन्दोलन #Vision2020 #इक्कीसवीं_सदी_उज्जवल_भविष्य