NTC CLUB MEDIA
एक दूजे जब झगड़ रहे हो।
अमन चैन सब छीन रहे हो।
सोच रहा हूं मनहिमन में,
न जाने कल क्या होगा।
कही आता है चाय का मसला।
कही होता है गाय का मसला।
झगड़ा झन्झट कराने वाले
उलझाते नही करते फैसला।
कभी पीटते मंदिर वाले,
कभी मस्जिद वाले मारे जाते।
हैवानियत का चलता सिक्का,
इंसान दुत्कारे जाते।
अब लोग सुनते बात मनकी।
अपनी सोंच भी छीन गयी है।
अफवाहों में हुलड़ मचाते,
रग रग में नफरत भिन्न गयी है।
अभी से संभलो समय बहुत है, यह सोच कल क्या होगा...?
खून बहे चाहे किसी का दर्द एक सा होता है।
सिस्कन भरती बीबी सभीका सबका बच्चा रोता है।
यह मानो भगवान एक है।
दुनिया का इंसान एक।
तब कैसी यह नफरत गर्दी,
हत्यारों की बान एक है।
कोई टिक कोई दाढ़ी वाले,
वात बोल बोल नफरत की।
हुलड़ ये मचा देते है,इन्हें फ़िक्र क्या है सरहद की।
फ़िक्र है कि काम बनजाय,
इन्हें क्या मतलब है आगे की।
फिर बोलो कल क्या होगा
Comments