चूँकि अभी ये बीमारियां आम हो चुकी हैं । और चरम रोग के नाम पर लोगों के पॉकिट से काफी पैसे कट रहे हैं। आराम तो हो जाता है मगर कुछ दिन बाद फिर उससे ज़्यादा एरिया में ये फुंसियां निकल जाती है चूहा को बिल से निकाले बिना बिल को बंद कर देंगे तो चूहा फिर कहीं न कहीं अपना बिल बनाएगा ना।
दोस्तों ...किसी भी मरहम को जब आप लगाते है तो वहां से फंगल बैक्टीरिया वहां से अन्दर ही दब जाता है और जैसे मौक़ा मिलता है वो बहार आ निकलता है।
चूँकि इसका मेयाज़म सोरा होता है जो बड़ा ही ज़िद्दी मेयाज़म होता है । और मेयाज़ मेटिक इलाज सिर्फ होमियो पैथ ही के पास है । ये पहले जिस्म में छुपे मेयाज़म को बहार लाता है फिर उसके बॅक्टेरिया को मारता है तब वो इंटरनल दवा से ब्लड को साफ करता है और बीमारी से हमेशा हमेश के लिए मुक्ती मिल जाती है।
ये फंगल अनेको प्रकार के होते हैं और हर प्रकार के लिए दवाइयाँ भी सिम्पटोम के मुताबिक अलग् अलग होती है।
कुछ खानदानी भी होती हैं तो कुछ ऐलर्जिकल भी होती है । जिसका तसखिस करना भी जरुरी होता है । होमियो पैथ में भी एक से एक दवाइयाँ आगइ हैं । जैसे मदर टिंक्चर , ट्राईट्रियूशन पेटेंट वगैरह । जो कीमती भी होती है और असर भी।
1 पहले हम मेयाज़म की तलाश कर एंटी सोरिक दवा देते है।
2 फिर उसको मारने के लिये एंटी फंगल दवा देते है।
3 फिर परेशानी से बचने के लिय एंटी सेप्टिक लोशन देते है।
जैसे
सुल्फार, ग्रैफाइटिस, सोरिनम ,पेट्रोलियम एंटी सोरीक हैं तो
मार्क सोल,कैल्केरिया सल्फ ,नेट्रम सल्फ , मेज़ेरियम्, टेलुरियाम् , अर्स सल्फ रुबेरम्, सकुचम् चक , एस करीसोरोबियम् etc के इलावा अनेको दवाइयाँ एंटी फंगल हैं तो वहीँ नेट्रम मयूर, जुग्लान्स रेजिया , एंटी पाईरिंन हिस्टा मुनियम् etc के इलावा अनेकों दवाइयाँ एंटी एलर्जिक हैं ।
तो चलमोग्रा आयल एंटी सेप्टिक हैं तो वहीँ इचिनिसिया हाइड्रो कोटाइल, अज़ादिरिकटा खून साफी का काम करती हैं ।
लेहाज़ा कमाल तो दवाइयों का मुनासिब चुनाव का है ।जो एक डॉ की तज़ुर्बा कारी पर मुनहसर है। .
इस नंबर पर आप डॉक्टर साहब से फ्री सलाह ले सकते है
डॉ एम् एस सिद्दीकी
जर्मन होमियो किलिनिक
पंच मन्दिर चौक मोतिहारी
9852592060
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