NTC NEWS MEDIA /Motihari
तेरा आना ,
जैसे सावन में रिमझिम बारिश ।
जैसे ठंडी में दोपहर की धूप
जैसे गर्मी में शीतल छाया की सुकून
जैसे पूरी हुई हो सदियों की ख्वाहिश
तेरा आना
जैसे बादलों के बीच से गुजरना ।
जैसे चांदनी रात में कही दूर हो अपना आशियां
जैसे समुन्दर की लहरों के साथ हो आजमाईश।
जैसे सारे दिल के अरमानो
का फिर से खिल उठना ।
तेरा आना
जैसे वो चंदन की महक
जैसे वो ठंडी हवा का झोंका ।
जैसे वो धीमी धीमी सी गुलाबों की खुशबू
जैसे सुबह सुबह कोयल की हो आवाज़
जैसे मीठी मीठी सी धुन पे छिड़ी हो सरगम साज।
जैसे समुन्द्र में मिली हो मोती
जैसे ऋषी की साधना , और तानसेेन का संगीत
जैसे किसी डूबते को मिला हो ऑक्सीजन
मरते मरते मिल गया हो नया जीवन।
और जब वही इंसान जाता है,
तो ....
तेरा जाना
जैसे सपनों का टूट जाना।
एहसासों का सुख जाना।
ख़ुदा का रूठ जाना।
अरमानों का लूट जाना ।
तेरा जाना
जैसे सूखे हुए पत्ते, बिना सुगंध के फूल
न जाने कौन सी हुई हमसे भूल ।
किसी गुनाह की होगी सजा
जिसमे ऊपर वाले कि भी होगी रजा।
तेरा जाना ,
जैसे बिन सावन के तरसता हो मोर
यादों में आके कोई मचा रहा हो शोर
अपने होने का दिखा रहा हो जोर
किसी डोर के सहारे खींच रहा हो तेरी ओर।
तेरा जाना
जैसे कही कुछ भी न लगे अच्छा
फल हो सामने, फिर भी लगे कच्चा।
मीरा की साधना गयी हो टूट
ये इश्क़~विक्स, प्यार~ व्यार हैं सब झूठ ।
तेरा जाना
जैसे हरी भरी खेत हो गई हो बंजर
अकेले रो रो कर बना दिया हो आसुओं का समंदर
जैसे चुपके से किसी ने चुभाया हो पीठ में खंजर
ये सुनी दुनिया , ये सुना महफ़िल , ये सुना मंज़र।
तेरा जाना
जैसे दिल से बह रहा हो लहू
अपनी तन्हाई के आलम को किससे कहु
खुशियाँ हो गयी हो कम
और हम भी जियेंगे लेकर इन सितमो का ग़म।
वो सरगर्मी, वो बेताबी , वो बेचैनी, वो कशिश
वो आवारगी, वो दीवानापन, वो आशिक़ी, वो दिल्लगी
वो सरफ़रोशी, वो नासमझी,वो नशा, वो जुनून
जब याद आते है , बड़ा तड़पाते हैं।
-Written by Abhishek Ranjan.
Comments
All the best sir