“साइबर क्राइम”……सावधानी ही सर्वोपरि है: IPS रतन लाल डांगी, डीआईजी, छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़। आईपीएस डांगी के अनुसार यदि आप सोशल मिडिया (फेसबुक, वाट्सएप इत्यादि) पर बने हुए है ,तो निश्चित रूप से साइबर क्रिमिनल्स की निगाह आप पर भी बनी हुई है ,वो कभी भी आपकी असावधानी का फायदा उठाकर आपको मानसिक रूप से परेशान कर सकता हैं,आपकी छवि को भी नुकसान पहुंचा सकता हैं । आपकी सावधानी ही आपको उनके चंगुल से बचा सकती हैं।
आपको इन बातों को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए ।(विशेषकर महिलाओं और बच्चों को)
ऑनलाइन वायलैंस अगेंस्ट वीमेन एंड गर्ल्स, ए वर्ल्ड वाइड वेकअप कॉल की एक रिपोर्ट में कहा गया है, कि इंटरनेट इस्तेमाल करने वाली लगभग एक तिहाई महिलाएं किसी-न-किसी तरह के साइबर अपराधियों के निशाने पर होती हैं।
इंटरनेट की बढ़ती सुविधा की वजह से अपराधी को खुद उसी जगह पर अपराध करने के लिए रहना जरूरी नहीं है। इस तरह के अपराध या तो किसी एक व्यक्ति या फिर व्यक्तियों के समूह द्वारा किए जाते है जिन्हें काफी अच्छा तकनीकी ज्ञान होता है। और इस क्षेत्र के विशेषज्ञ जुड़े हुए होते हैं।
महिलाओं से संबंधित साइबर अपराध……..
(1) साइबर स्टॉकिंग -यह एक ऐसा अपराध है जिसके द्वारा किसी व्यक्ति को बार-बार उत्पीड़न का शिकार बनाया जाता है; पीड़ित का पीछा करके, तंग करके, कॉल द्वारा परेशान करके, संपत्ति के साथ छेड़छाड़ करके। स्टॉकिंग के उपरांत पीड़ित को मानसिक एवं शारीरिक रूप से हानि पहुंचाना मकसद होता है।
(2) स्टौकर (अपराधी) पीड़ित की सारी जानकारी अवैध रूप से इकट्ठा करके एवं इंटरनेट पर उनकी गलत छवि दिखाकर हानि पहुंचाने का लक्ष्य रखते हैं, ताकि भविष्य में भयादोहन करके उनका अनुचित लाभ उठा सकें।
(3) सर्विस अटैक- यह एक ऐसा अपराध है, ऐसा हमला है जिसमें पीड़ित के नेटवर्क को बेकार संदेशों से भर दिया जाता है। यह सब इसलिए किया जाता है ताकि पीड़ित को जानबूझकर तंग किया जा सके या पीड़ित अपना ईमेल इस्तेमाल ना कर पाए।
(4) पॉर्नोग्राफी– यह एक ऐसा अपराध है जिसमें यौन क्रियाएं दिखा कर, यौन उत्तेजना द्वारा पीड़ित से गलत काम कराया जाता है।
(5) बाल यौन शोषण- बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार के मामले इंटरनेट पर भारी मात्रा में देखे जा सकते हैं। छोटे बच्चे ऐसे आपराधिक मामलों में आसान शिकार होते हैं। चूंकि कंप्यूटर घर घर में मौजूद है, इस कारण बच्चों की पहुंच इंटरनेट तक बहुत आसान हो गई है।
इंटरनेट पर अश्लील सामग्री बहुत आसानी से उपलब्ध होती है। अपराधी बच्चों को अश्लील सामग्री देकर ललचाते हैं ताकि वह उनका अनुचित लाभ उठा सकें। अपराधी बच्चों से संपर्क करते हैं, बात करते हैं, मित्रता बढ़ाते हैं, ताकि उनका आत्मविश्वास जीत सके, अथवा उनका शोषण कर सके।
उपरोक्त साईबर अपराधों से निपटने के लिए कानून बनाया गया है लेकिन अपनी तरफ से भी कुछ सावधानियां बरतकर महिलाएं इन समस्याओं से बच सकती हैं और बिना किसी चिंता के सोशल मीडिया पर एक्टिव रह सकती हैं।
क्या करें, क्या न करें…….
सोशल साइट्सका इस्तेमाल करते समय बहुत जरूरी है, कि आप उसके सिक्योरिटी सिस्टम को एक्टिवेट करें।
किसी भी अनजान शख्स की फ्रेंड रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट न करें।
किसी के बेहुदा मैसेज का जवाब न दें।
पर्सनल डिटेल को रिस्ट्रिक्ट कर दें ताकि आपके गिने-चुने दोस्तों को छोड़ कर कोई अन्य व्यक्ति उस तक न पहुंच सके। सबसे पहले तो सोशल मीडिया पर अपनी निजी तस्वीरें डालने से बचें. उनका कोई भी इस्तेमाल कर सकता है.
अगर फिर भी आप तस्वीरें डालना चाहते हैं तो अपने फ़ेसबुक अकाउंट पर अपनी प्राइवेसी सेटिंग्स को पब्लिक न करें.
सेटिंग्स ऐसे रखें कि आपकी फ़ोटो आपके दोस्त या आपसे जुड़े हुए लोग ही देख पाएं. अनजान लोग उन तक न पहुंचे.
ऑनलाइन निजी जानकारी (फोन नंबर, बैंक डिटेल आदि) किसी से शेयर न करें।
किसी अनजान शख्स से ऑनलाइन फ्लर्ट या बहसबाजी न करें।
अपना पासवर्ड किसी से शेयर न करें।
सोशल मीडिया में कोई अनजाना शख्स कुछ मसेज करता है और किसी लिंक पर क्लिक करने के लिए कहता तो उससे सावधान रहें। ऐसे शख्स को बिना कुछ जवाब दिए ही ब्लॉग करें।
आप कई बार किसी का अकाउंट ब्लॉक कर देते हैं या उसकी रिपोर्ट कर देते हैं. इसके बाद ब्लॉक किया हुआ शख़्स आपके अकाउंट तक नहीं पहुंच सकता लेकिन ध्यान रखें कि वो दूसरे अकाउंट से आप तक पहुंच सकता है.
अपने नाम के बारे में गूगल पर हमेशा सर्च करते रहें ताकि आपको पता रहे कि आपका नाम कहां पर और किस-किस वेबसाइट पर आ रहा है.
अगर किसी ग़लत जगह पर या ऐसी जगह पर आपको नाम दिखाई देता है जिसकी अनुमति आपने नहीं दी है, तो उसे तुरंत हटाने के लिए कह सकते हैं.
वहीं, ट्विटर के ऊपर बिल्कुल भी निजी तस्वीरें न डालें. यह एक सोशल नेटवर्किंग साइट नहीं है, यह एक ट्विटिंग प्लेटफॉर्म है.
ट्विटर पर ऐसी सेटिंग्स की जा सकती हैं कि आपकी अनुमति के बिना लोग आपको फॉलो न कर सकें. लेकिन, अमूमन लोग ऐसा करते नहीं हैं. सेटिंग्स को ज़्यादा निजी करके आपका अकाउंट ज़्यादा सुरक्षित रह सकता
ऐसे में किसी दूसरे अनजान प्रोफ़ाइल की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकारने से पहले इस बात को दिमाग में रखें.
अगर आप किसी समस्या में फंस भी जाते हैं तो घबराएं नहीं बल्कि पुलिस को इसकी जानकारी दें.
अपने सोशल मीडिया के अकाउंट को देखते रहें, अगर कभी आप अपने सोशल साइट्स के अकाउंट को डिलीट कर रहे हैं, तो उससे पहले आप अपनी सारी पर्सनल जानकारी को डिलीट कर दें और फिर उसके बाद आप अपना अकाउंट डीएक्टिवेट करें या डिलीट करें.
आप किसी भी स्पैम ई-मेल का उत्तर न दे, अंजान ई-मेल में आए अटैचमेंट्स को कभी खोल कर न देखें या उस पर मौजूद लिंक पर क्लिक न करें. इसमें वायरस या ऐसा प्रोग्राम हो सकता है, जिसको क्लिक करते ही आपका कम्प्यूटर उनके कंट्रोल में जा सकता है या आपके कम्प्यूटर में वायरस के प्रभाव से कोई जरूरी फाइल डिलीट हो जाए और आपका ऑपरेटिंग सिस्टम करप्ट हो जाए.
बच्चों पर नजर रखे और उनके द्वारा इंटरनेट के इस्तेमाल को सिमित रखे।
फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब की सुरक्षा सेटिंग्स की जाँच करें और सावधान रहे।
कई बार देखने को मिलता है कि पीड़ित को यह पता नहीं होता कि उनके साथ कुछ गलत हुआ है तो वह क्या करें? कहां जाएं और किससे शिकायत करें?
ध्यान रहे यदि कोई साइबर अपराध से संबंधित कोई घटना आपके साथ घटित हुई हो तो यह भी ध्यान रखें…………
(1) सबूत सहेज कर रखें-आपके साथ सोशल मीडिया पर गलत व्यवहार होता है धोखाधड़ी का शिकार होते हैं तो ऐसे में आप संबंधित पेज का स्क्रीन शॉट, लिंक, डेट और टाइम आदि को सहेज कर रखें ताकि शिकायत के वक्त संबंधित अथॉरिटी को सबूत के रूप में दिया जा सके। इससे न सिर्फ आरोपियों को पकड़ने में मदद मिलेगी बल्कि अपराध करने वालों में भी खौफ बैठेगा।
(2) यदि खाते से पैसे निकाले गए हैं जो इसकी जानकारी तुरंत बैंक के कस्टमर केयर में दें या कार्ड ब्लॉक कराएं।
(3) संबंधित अथॉरिटी को शिकायत करें-ऑनलाइन अपराध का शिकार होने के बाद चाहिए कि आप संबंधित अथॉरिटी या संस्था से शिकायत करें। जैसे…
क्रेडिट कार्ड से पैसे निकाले जाने पर बैंक से शिकायत करें,
फेसबुक से कोई तंग कर रहा है तो हेल्प सेंटर के रिपोर्टिंग सेक्शन में जाकर उसकी प्रोफाइल को रिपोर्ट करें या उसे ब्लॉग करें।
मामला गंभीर हो तो उसकी शिकायत जिले में मौजूद पुलिस की साइबर सेल में करें।
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