भारत को 5 खरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए , सेंट्रल बैंक की दो दिवसीय शाखा स्तरीय परामर्श एवं विचार मंथन प्रक्रिया शुरू...
मोतिहारी। लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को घोषणा की थी कि उनकी सरकार का लक्ष्य भारत को पांच खराब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है और इसके लिए जमीनी स्तर पर तैयारियां भी शुरू हो गई हैं । इसी क्रम में मोतिहारी में सेंट्रल बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक हरिराम की अध्यक्षता में मोतिहारी के वॉल्वर्टन स्थित होटल विज्डम सेलिब्रेशन में दो दिवसीय शाखा स्तरीय परामर्श एवं विचार मंथन प्रक्रिया का आयोजन किया गया ।
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क्षेत्रीय प्रबंधक हरिराम ने बताया कि शाखाओं के प्रदर्शन के आधार पर तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है उत्कृष्ट निष्पादन मध्यम निष्पादन और सबसे कम या नकारात्मक निष्पादन आज शाखाओं के कार्य निष्पादन पर विचार किया जा रहा है शाखा प्रबंधकों के कार्य निष्पादन का विश्लेषण स्वार्थ के आधार पर किया गया अर्थात एक विशेष शाखा की शक्तियां क्या है कमजोरी क्या है और सर क्या है और समय निश्चित समय क्या है जिसके अंतर्गत शाखाओं को अपनी अपनी शक्तियों एवं कमजोरियों को जानकर उपलब्ध और सर का एक निश्चित समय में उपयोग करना है इस आयोजन का मूल मंत्र है।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य आधार स्तर अर्थात शाखा स्तर से आगे क्षेत्र स्तर राज्य स्तर बैंकिंग कमेटी और राष्ट्रीय स्तर पर परामर्श दात्री प्रक्रिया को व्यवहार में लाना है इस संदर्भ में मुख्य बिंदु जिन पर चर्चा की गई निम्न प्रकार है:-
आर्थिक विकास के लिए ऋण सहयोग, आधारभूत संरचना के लिए ऋणी सहयोग, किसानों की आय को गुणा करना, कम नगदी एवं डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना, देश के एमएसएमई उद्योग को ऋण देना, कृषि ऋण को बढ़ावा देना, भारतीय निर्यात को बढ़ावा देना, प्रधानमंत्री जन धन योजना को ध्यान में रखते हुए वित्तीय ढांचे को मजबूत करना, भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 खरब डॉलर तक पहुंचाने के लिए बैंक ऋण उपलब्ध कराना, वित्तीय समावेशन, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, आसान जीविकोपार्जन, शिक्षा ऋण, मत्स्य पालन आधारित अर्थव्यवस्था का पोषण, स्टैंड अप इंडिया, स्वच्छ भारत हरित अर्थव्यवस्था को सहयोग, जल शक्ति का विकास, सभी के लिए घर, निर्यात ऋण, स्थानीय प्राथमिकताओं के साथ जुड़ाव, सामाजिक जिम्मेदारियों के साथ लगाव इत्यादि शामिल है।
आर्थिक विकास के लिए ऋण सहयोग, आधारभूत संरचना के लिए ऋणी सहयोग, किसानों की आय को गुणा करना, कम नगदी एवं डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना, देश के एमएसएमई उद्योग को ऋण देना, कृषि ऋण को बढ़ावा देना, भारतीय निर्यात को बढ़ावा देना, प्रधानमंत्री जन धन योजना को ध्यान में रखते हुए वित्तीय ढांचे को मजबूत करना, भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 खरब डॉलर तक पहुंचाने के लिए बैंक ऋण उपलब्ध कराना, वित्तीय समावेशन, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, आसान जीविकोपार्जन, शिक्षा ऋण, मत्स्य पालन आधारित अर्थव्यवस्था का पोषण, स्टैंड अप इंडिया, स्वच्छ भारत हरित अर्थव्यवस्था को सहयोग, जल शक्ति का विकास, सभी के लिए घर, निर्यात ऋण, स्थानीय प्राथमिकताओं के साथ जुड़ाव, सामाजिक जिम्मेदारियों के साथ लगाव इत्यादि शामिल है।
इस कार्यक्रम के दूसरे चरण में राज्यस्तरीय बैंकर्स कमेटी राज्य स्तर तथा अंतिम स्तर पर राष्ट्रीय स्तर पर भी इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
मालूम हो कि वित्त मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशानुसार सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में विचार विमर्श एवं नवसृजन आत्मक विचारों हेतु एक विशेष संगठित अभियान चलाया जा रहा है।
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