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नकुल कुमार के प्यार की अधूरी कहानी भाग-01

मुझसे कुछ नहीं कहते हो, इतना चुप क्यों रहते हो। बेजान पड़ा ये माली हैं, सूखी जबसे ड़ाली हैं । इंस्टाग्राम छोड़ा तुमने, अब मैसेंजर भी खाली खाली हैं। इतनी तड़प तुम सहते हो, फिर भी कुछ नहीं कहते हो। ... ...

Live from NAREGA Park Motihari

Nakul Kumar  #Live from #NREGA_PARK_MOTIHARI                             एक तरफ कपकपाती ठंड तो दूसरी ओर घर आए मेहमानों की पार्क घूमने की इच्छा। बड़ा  अजीब था हमारे लिए। फिर भी इस ठंड के बीच भी हम पहुंचे #मोतिहार...

नि:शुल्क दर्द जांच शिविर का हुआ आयोजन

मोतिहारी/07-01-2018 मोतिहारी शहर के अगरवा माई स्थान मंदिर के नजदीक स्थित गौतम बुद्ध दर्द उपचार क्लिनिक मे रविवार को मुफ्त दर्द जांच शिविर का आयोजन किया गया। क्लिनिक के निदेशक दर्...

कार्यशाला का हुआ आयोजन

आज हर्फ़ मीडिया प्रा०लि० द्वारा स्थानीय आई०एम०ए०हॉल में एक प्रोफेशनल ब्लॉग संचालन कार्यशाला का आयोजन किया गया।जिसमें "ऑल टिप्स फाइंडर" के संचालक स्थापित युवा ब्लॉगर आब...

...... मज़हबीकरण

घंटो बैठे , निहारते रहता हूँ। समाज से समाज को,  पुकारते रहता  हूँ।  अपने संसार का , वह सामाजिक ताना-बाना।  सभी क्यों गाने लगे है , क्रूर  कट्टरता का गाना।  कहाँ गई ईद की , वह सेवई की मिठास।  अब होली के पुए में भी , आने लगी है खटास।  अब कहाँ  कोई हिन्दू , मस्जिद के बहार नजर आता हैं।  इस कदर उसे , संदेह से देखा जाता हैं।  घर वापसी की ख़बर सुनकर , कमला बेगम सिहर सी जाती है।  जबरन मजहबीकरण की , उसकी अतीत ताजी हो जाती है।  अब बंटवारा होगा लहू का , भाईचारे का भी हरण होगा।  मिटटी, पानी और हवा का , मज़हबीकरण होगा।  धन्यवाद  कवि:-नकुल कुमार मोतिहारी, पूर्वी चम्पारण बिहार  Mb. 08083686563

मैं आजाद पाण्डेय बोल रहा हूँ...............

#मैं_आज़ाद_पांडेय_बोल_रहा_हूँ। अगर पूरा पढ़ लेंगें तो आप बहुत कुछ सोचने पर मजबूर जरूर हो जायेंगें। मैं आज़ाद पांडे बोल रहा हूँ। मेरे दो हाथों को काटने की कोशिश की गयी है। यूं तो म...

Who is Supiya Bharti.....???

Read the ............ Junior Mother Teresa from the book of NAKUL KUMAR "The Story of Supriya Bharati 📝 familiar Dumariya is a small village in Belhar Panchayat in Banka district of Bihar. If Bihar is a village, then imaging more for it is ineffective in itself. But there can not be any social worker or scholar even in the absence of that village. Supriya Bharti, who came out from the middle of such a lack, 📝 Bachpan📝 From childhood, Supriya Bharati was fond of reading and teaching. But the mind of the mind remained subdued in the mind itself. This passion of study inspired him to take the ISC and after 10th, he started to study Jamui in the daughter-in-law's daughter-in-law for further studies. During the registration of Jamui Women's College, she met a girl who told Supriya Bharti about things that her maternal uncle teaches children free education in her village and working on free educational awareness in her area. So much heard that...