श्रीरामचरितमानस के अरण्यकांड में जब शूर्पणखा लक्ष्मण द्वारा नाक, कान काटे जाने के बाद रावण के पास जाती है, तब वह रावण को बताती है कि किन 6 को कभी छोटा यानी कमजोर नहीं समझना चाहिए। आज हम आपको उन्हीं 6 के बारे में बता रहे हैं-
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🌷 रिपु रुज पावक पाप प्रभु अहि गनिअ न छोट करि।
अस कहि बिबिध बिलाप करि लागी रोदन करन।।
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अर्थात- शत्रु, रोग, अग्नि, पाप, स्वामी और सर्प को छोटा नहीं समझना चाहिए। ऐसा कहकर शूर्पणखा अनेक प्रकार से विलाप करके रोने लगी।
🌍शत्रु यानी दुश्मन🌍
दुश्मन भले ही कितना भी छोटा क्यों न हो, लेकिन उससे हमेशा सावधान रहना चाहिए। कई बार छोटे दुश्मन भी इतना बड़ा नुकसान कर देते हैं, जिसके कारण बाद में पछताना पड़ता है।
🌍रोग यानी बीमारी🌍
*छोटी से छोटी बीमारी को भी कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। सर्दी, जुकाम या बुखार आदि भले ही साधारण लगते हो, लेकिन जब यह बढ़ जाते हैं तो शरीर को खोखला कर देते हैं।
🔥 अग्नि
आग का सबसे छोटा रूप एक चिंगारी होती है, लेकिन जब यह विकराल रूप ले लेती है तो इस पर नियंत्रण पाना किसी के बस में नहीं होता। ये कभी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है।
⚔ 👹पाप यानी बुरे काम👹
कई बार मनुष्य सब कुछ जानकर भी छोटे-छोटे गलत काम करते हैं। इन कामों से प्राप्त होने वाला पाप भी कम ही होता है, लेकिन जब इन छोटे-छोटे पाप कर्मों का फल एकत्रित हो जाता है तो इसकी भयानक सजा मिलती है। इसलिए पाप कर्म भले ही छोटा है, लेकिन करने से बचना चाहिए।
👳स्वामी यानी मालिक👳
मालिक को कभी भी छोटा नहीं समझना चाहिए। क्योंकि अगर मालिक नाराज हो जाए तो वह आपका बड़ा नुकसान कर सकता है। मालिक को जब भी मौका मिलेगा, वह आपका नुकसान करने से नहीं चूकेगा। इसलिए मालिक को कभी छोटा यानी कमजोर नहीं समझना चाहिए।
🐍 सांप
सांप दिखने में भले ही कितना भी छोटा क्यों न हो, लेकिन यदि वह एक बार काट ले तो किसी की भी मृत्यु का कारण बन सकता है। इसलिए सांप को कभी छोटा (कमजोर) नहीं समझना चाहिए।
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