मन जब सामाजिक विषमताओं के कारण व्यग्र होता है तो शब्द अपना आकर पाने लगता है। इसी कड़ी में "मैं क्या हूँ"
(1)
मैं क्या हूँ?
एक पीड़िता
या
राजनीति!
मैं क्या हूँ?
टीवी की डिबेट
या
विरोधियों का
एक मुद्दा!
या
सत्ता की चुनौती!
मैं क्या हूँ?
पुरुषों का खिलौना
या
टीवी का विज्ञापन
या
राजनीति की कठपुतली
या धर्म?
(2)
मेरी पहचान मिट चुकी है
शायद
अब लड़की/औरत मर चुकी है
आब रेप लड़की से नही होती
लोग बलात्कार करते है
हिन्दू की! मुसलमान की!
सिक्ख की! ईसाई की!
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विद्या निकेतन के प्राचार्य डॉ दीनबंधु तिवारी जी का छात्रों के नाम संदेश..... स्वतंत्रता दिवस पूर्व संध्या विशेष
NTC NEWS MEDIA/MOTIHARI मोतिहारी मैं हिंदी माध्यम स्कूलों में विद्या निकेतन एक सर्वश्रेष्ठ शैक्षणिक संस्थान के रूप में स्वयं को वर्षों से स्थापित किए हुए हैं और इसका सारा श्रेय इस विद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर दीनबंधु तिवारी जी को जाता है जिन्होंने 72 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर छात्रों के नाम संदेश प्रेषित किया है सर कहते हैं कि..... " 72वे स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मुझे यही कहना है कि आज के छात्र देश के भावी कर्णधार नागरिक बनेंगे उन्हें अपनी रुचि के अनुसार विषयों का चुनाव कर पूरे लगन एवं मनोयोग से अध्ययन करना चाहिए जिससे हमारा देश का चतुर्दिक विकास हो आर्थिक वैज्ञानिक या टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में हमारा देश अन्य सभी देशों से आगे बढ़े यह किसी एक आदमी के करने से संभव नहीं होगा बल्कि हम सभी की सहभागिता से संभव है । हम छात्रों को यही सुझाव देना चाहेंगे कि वह अपने मस्तिष्क को रिसर्च की तरफ प्रेरित करें परंपरागत शिक्षा से अलग हटकर व्यवसायिक शिक्षा की तरफ अपनी कदम बढ़ाए देश में बेरोजगारी दूर करने हेतु रोजगार उन्मुक्त शिक्षा की तरफ वह सब लोग प्रवृत्त हो हम किसी को भी वैज्
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