तू राधा मैं कृष्ण का वंशज
तेरी मेरी एक कहानी
मन की धरती गीली गीली
नयन से छलके दुख का पानी
तेरी मेरी एक ही माटी
एक ही सांसें आती जाती
एक है सपना तेरा मेरा
एक हंसी है एक उदासीजिस्म हमारा आधा आधा
आधा कान्हा बाकी राधा
तेरी लगन में तड़पूं लेकिन
रोके है मुझको मर्यादा
मेरे पग ज़ंजीर बंधी है
तू भी रस्मों की क़ैदी है
तेरे आने की आशा में
दरवाज़े पर आंख टँगी है
इक टूटा आईना हूँ मैं
जिस के हर टुकड़े में तू है
दुख ना करना जैसा भी हूँ
तेरा देखा सपना हूँ मैं
०००
©गुलरेज़ शहज़ाद
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